"जिसकी छाँव पहुंचे गाँव गाँव "

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गरीब और असहाय बच्चों की शिक्षा के साथ- साथ चदुर्दिक विकास को समर्पित समाज सेवी संस्था  “शिक्षातरु” की स्थापना बिहार के पटना और सुपौल शहर के कुछ समाज सेवी युवाओं के द्वारा की गई। धीरे- धीरे इस संस्था से कई और समाज सेवी जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया।अभी वर्त्तमान में इस संस्था से करीब 100 स्वैच्छिक सदस्य जुड़ें हुए हैं, जिनमें भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारीगण,  बैंक के कई अधिकारी,  कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आदि शामिल हैं। ये स्वैच्छिक सदस्य नियमित रूप से संस्था में सहयोग राशि प्रदान करते हैं,  जिससे बच्चों की पढ़ाई नियमित और निर्बाध चलती रहती है। साथ ही साथ कई सहृदय दानकर्ताओं द्वारा हमें समय- समय पर मदद मिलती रहती है। 

शिक्षातरु का निबंधन दिनांक  27 मई 2019  को बिहार सरकार द्वारा  (निबंधनसंख्या: S000005/2019-20) किया गया और इसे सम्पूर्ण भारत में कार्य करने की अधिकारिता मिली।शिक्षा तरु का मुख्यालय डाक्टर्स कॉलोनी,  छोटी पहाड़ी, अगमकुआं, पटना में है।

संस्था का संचालन  13  सदस्यीय कार्यकरिणी समिति के द्वारा होता है,  इन सदस्यों में शिक्षा और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों के अनुभवी लोग शामिल हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अनुभवी शिक्षिका कुमारी रेणुका संस्था की अध्यक्षा हैं और शिक्षिका श्रीमती मीनाक्षी अली संस्था की सचिव हैं। संस्था के उपाध्यक्ष का भार सुपौल शहर के समाज सेवी श्री निरंजन कुमार और कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी समाज सेवी राजीव अग्रवाल के मजबूत कंधों पर है। 

President – Kumari Renuka
Secretary – Smt. Meenakshi Ali
Vice President- Niranjan Kumar
Treasurer –Rajeev Agrawal

हमारी पहली संरक्षिका हैं – आदरणीया शेफालिका वर्मा। श्रीमती वर्मा देश की वरिष्ठ साहित्यकार हैं। डॉ वर्मा को “मैथलिक  महादेवी” के नाम से भी लोग जानते हैं। उनकी आत्मकथा  –  “क़िस्त  –  क़िस्त जीवन”  के लिए उन्हें वर्ष 2012 में साहित्य अकादमी पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।इसके अतिरिक्त उनके चर्चित कृतियों में स्मृति रेखा  (संस्मृति),  एक टाअ कास, मधुगन्धी वातास,  अर्थयुग (कथा-संग्रह ), नागफांस  (उपन्यास) आदि प्रमुख हैं। 

हमारे दूसरे संरक्षक हैं: -बिहार के ख्याति प्राप्त समाज सेवी आदरणीय श्री फुलेन्द्र चौधरी जी, जिन्होंने मूक बधिर बच्चिओं के जीवन में रौशनी लाने का कार्य किया है। अपने मुंगेर स्थित “बाबा बैद्यनाथ मूकबधिर बालिका आवासीय विद्यालय”  में पिछले  28  वर्षों से इन विशेष बच्चिओं की जिन्दगी में रौनक लाने का काम निःस्वार्थ और निःशुल्क कर रहे है। इनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इन्हें महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा  ” राजीव गाँधी मानव सेवा सम्मान  -2009″ से नवाज़ा गया। 

हमारे तीसरे संरक्षक हैं  -बिहार प्रशासनिक सेवा के तेजतर्रार और जिम्मेदार अधिकारी,  लखीसराय के उप समाहर्ता आदरणीय श्री मुरली प्रसाद सिंह।श्री सिंह पहले एक शिक्षक थे, जो कई जरूरतमंद छात्र छात्रों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते थे और उनके कई छात्र भारत सरकार और बिहार सरकार के उच्च पदों पर बिराजमान हैं।

हमारी चतुर्थ संरक्षिका हैं- आदरणीया सुश्री संगीता अग्रवाल।मुजफ्फरपुर की सुश्री अग्रवाल जन्म से ही बिना आँखों की हैं लेकिन अपने आत्मशक्ति की रौशनी से एक अलग ही दुनिया का निर्माण किया है।मुजफ्फरपुर में उनके द्वारा संचालित स्कूल  “शुभम” कई नेत्रहीन लड़के-लडकियों की ज़िन्दगी को सार्थक बना रहा है।सुश्री अग्रवाल भारत की पहली नेत्रविहीन महिलाहैं ,जिन्होंने संस्कृत भाषा से एम्.फिलकिया और एल.एस. कॉलेज, मुजफ्फरपुर में सहायक प्रोफेसर हैं।इन्हें महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

 

हमारे पांचवें संरक्षक हैं-  पद्म श्री करी मुलहक़।बाइक एम्बुलेंस दादा के नाम से प्रसिद्ध श्री हक ने अपने बाइक एम्बुलेंस के द्वारा पिछले  20 वर्षों में लगभग  20,000 लोगों को समय रहते हॉस्पिटल पहुँचाकर अद्भुत जन सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है।इस असाधारण सेवा के लिए इन्हें महामहिम राष्ट्रपति महोदय से पद्मश्री का सम्मान मिला है। 

हमारे छठ वें संरक्षक हैं-कश्मीर के प्रसिद्ध समाज सेवी और  Disability Rights Activist आदरणीय पद्म श्री जावेद अहमद टाक।श्री जावेद जी ने अपनी विकलांगता को अपनी मजबूती बनाते हुए हजारों दिव्यांग लोगों की जिंदगी में खुशियाँ भरने का कार्य किया है।इस अदम्य साहस पूर्ण समाज सेवा के लिए इन्हें महामहिम राष्ट्रपति महोदय से पद्मश्री का सम्मान मिला है।

हमारी पहली सलाहकार हैं- आदरणीया अमनप्रीत पासी मैडम।श्रीमती अमन प्रीतजी 2010 बैच की एक IRS ऑफिसर हैं और साथ ही सामाजिक कार्यों में उनका योगदान उल्लेखनीय है। कोविड -19 के इस पैंडेमिक में अमनप्रीत मैम ने हमारे देश के 17 राज्यों में विभिन्न NGO की मदद से 12.5 लाख से ज्यादा महिलाओं को सैनेटरीपैड उपलब्ध करवाया।अमन प्रीत मैम की इस योगदान के लिए सारा भारत आज उन्हें “पैडवुमनऑफ़इंडिया” के नाम से जानती है।

हमारी दूसरी सलाहकार हैं – आदरणीया बबिता कोमल। बबिता कोमल जी

पूर्वोत्तर भारत की एक प्रसिद्ध साहित्यकार के साथ- साथ एक प्रेरक वक्ता भी हैं।उनके अब तक सात उपन्यास प्रकाशित हुई हैं,  जिसमे प्रमुख हैं  – “बबली-एकलड़की”,  “बबली – एकस्त्री” , “बबली – एकजननी”। साहित्य में अहम्योगदान के लिए , विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ ने उन्हें विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि से नवाज़ा है।

वर्तमान में संस्था के द्वारा  25 बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाया जा रहा है।ये सभी बच्चें अपने शहर के अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। मुजफ्फरपुर, बिहार में अवस्थित  “शुभम विकलांग सेवा संस्थान”  में शिक्षा तरु की तरफ से एक शिक्षिका की सेवा दी जा रही है। सुपौल शहर में  20 बच्चों के साथ आधारीय शिक्षा को लेकर एक आधार स्कूल चलाया जा रहा है। संस्था के द्वारा पटना में माता शीतला मंदिर, अगम कुआं के प्राँगण में मलिन बस्तियों के बच्चों की आधारीय शिक्षा के लिए शीघ्र ही एक आधार कक्षा की शुरुआत की जाने वाली है।

शिक्षा क्षेत्र में सेवा देने के अतिरिक्त सामाजिक सरोकार से जुड़ें अन्य क्षेत्रों में भी हमारे समाज सेवी सदस्य गण अपनी सेवा देते रहें हैं।संस्था ने मुजफ्फरपुर शहर में इंसेफेलाइटिस से प्रभावित क्षेत्रों में, बाढ़ से घिरे लोगों के बीच, कोरोना महामारी से बचाव के जागरूकता कार्यक्रम,  जरूरतमंद लोगों के बीच गर्म कपड़े और कंबल का वितरण,  स्लम बस्तियों के बच्चों के बीच समय समय पर किताब,  कॉपी और अन्य सामानों का वितरण आदि में अपनी सेवा प्रदान की है। 

समाज में सकारात्मकता और प्रेरणा फ़ैलाने के पुनीत उद्देश्य सेसंस्था के द्वारा एक साप्ताहिक ऑनलाइन लाइव टॉक शो  “एक मुलाक़ातशिक्षा तरु के साथका प्रसारण किया जाता है जिसमें समाज के अग्रणी समाज सेवी,  शिक्षा विद और अन्य प्रेरक व्यक्तित्वों से परिचर्चा की जाती है।

इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाज सेवी पद्मश्री सिस्टर सुधा वर्गीजSuper 30  के संस्थापक श्री आनंद कुमार, Pad-Woman  of  India श्रीमती अमन प्रीत पासी-IRS,  दादी की रसोई के संस्थापक आदरणीय अनूप खन्ना,   राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानि तशिक्षिका श्रीमती स्नेहिल पाण्डेय,  राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित दिव्यांग शिक्षक आदरणीय  संत कुमार साहनी,  विख्यात राजनीतिज्ञ श्रीमती रितु जायसवाल, पूर्वोत्तर की प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती बबीता कोमल,  प्रसिद्ध शिक्षा विद श्री संजय कुमार,   प्रसिद्ध आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्रीमती मुकुल मुखर्जी,  प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता श्री अमितवांगर, Self defence  trainer लेडी सिंघम किरण सेठी और कई अन्य प्रेरक हस्तियों ने अपनी भागीदारी दी है।

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