एक मुलाक़ात, शिक्षा तरु के साथ – सिस्टर सुधा वर्गीस

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आदरणीय दर्शकों, आपके अपने कार्यक्रम “एक मुलाक़ात, शिक्षा तरु के साथ’ की अगली कड़ी में हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं लब्धप्रतिष्ठित समाज सेवी, “साईकलवाली दीदी” के नाम से विख्यात, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित आदरणीया सिस्टर सुधा वर्गीस दीदी से।
वर्ष 1944 में जन्मी सुधा दीदी 21 वर्ष की उम्र में अपने गृह नगर कोट्टायम, केरल को छोड़कर, अपनी टीम के साथ विद्या दान हेतु, दानापुर, बिहार आ गयीं। यहाँ उन्होंने नोट्रेड्रम स्कूल में कुछ वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया। इसी दौरान उन्होंने महादलित “मुशहर” जाति की लड़कियों/महिलाओं की दुर्दशा को नजदीक से देखा और निर्णय किया कि इनके लिए ही जीवन जियेंगी। वर्ष 1986 से वर्ष 2007 तक सुधा दीदी ने उनकी बस्ती में उनके बीच रहकर उनके उत्थान के लिए संघर्ष करना शुरू किया। फिर “नारी गुंजन”संस्था के द्वारा उनकी आवाज़ को उठाने का कार्य किया और महादलित बस्ती की लड़कियों की पढ़ाई के लिए कई शहरों में “प्रेरणा स्कूल” की स्थापना की। अभी इनके स्कूल में लगभग 3000 लड़कियाँ हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। इनकी सच्ची समाज सेवा से प्रभावित होकर भारत सरकार ने वर्ष 2006 में सुधा दीदी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है।

“एक मुलाकात, शिक्षा तरु के साथ ” की इस कड़ी में आदरणीया सुधा दीदी के जीवन के कई छुए-अनछुए पहलुओं के साथ- साथ कई संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर हमारी परिचर्चा होगी।
इस लोकप्रिय कार्यक्रम में दिनांक 11.10.2020 को शाम 05 बजे हमारे साथ जुड़ने का विनम्र आमंत्रण स्वीकार करें।
आभार: शिक्षा तरु परिवार🙏🙏🙏

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