“मजबूर माँ- बाप थे उनके,
अच्छी शिक्षा के ख्वाब बुनके,
काट रहे थे जीवन दिन गिनके,
शिक्षा तरु आया उम्मीद बनके।”
हर माँ- बाप की जीते जी यह हार्दिक इच्छा रहती ही है कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले और उनके बच्चे जीवन में ऊँचा मुकाम हासिल करें। वर्तमान में शिक्षा व्यवसाय का रूप धारण कर चुका है और अच्छी शिक्षा निजी विद्यालयों के चहारदीवारी में कैद होकर रह गयी है। ऐसे में दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन बसर करने वाले परिवारों के लिए अपने बच्चों को बेहतर तालीम दिलवा पाना दिवास्वप्न जैसा ही था। लेकिन उनके इस सपने को #शिक्षा_तरु साकार कर रही है। संस्था के शुरुआती दिनों के आधार स्कूल से लेकर बच्चों की शिक्षा गोद लेने के अनूठे प्रयासों से आज कई छात्र- छात्राओं का जीवन संवर रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से वे परिवार आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। शिक्षा के साथ- साथ जिस तरह संस्था ने समय- समय पर मानवता के हित में कई सेवाएँ की है। वह लोगों के हृदय को स्पंदित करती है। पिछले वर्ष जब #मुजफ्फरपुर में #चमकी_बुखार से नौनिहालों की जान जा रही थी। उस वक़्त संस्था के जांबाज सिपाहियों ने मानवता की कमान अपने हाथों में ली और लोकप्रिय संस्था #रोटी_बैंक, सहरसा के साथ मिलकर दर्जनों गाँवों में जन- जागरूकता चलाकर और रिलीफ किट बाँटकर मानव सेवा की मिसाल कायम की। ठंड के दिनों में बेबस लोगों में कंबल की गर्माहट देकर उनकी जिजीविषा को कायम रखा। पटना में आयी भयावह बाढ़ में भी अपने जान की परवाह किये बगैर पीड़ितों तक राहत सामग्री पहुँचाकर लोगों का दिल जीता। वर्तमान में सदी के सबसे बड़े त्रासदी #कोविड_19 में भी संस्था के कर्मवीरों ने कई परिवारों को राशन किट देकर उन्हें संबल दिया।
सुषुप्त हो चुकी मानवता की सेवा के लिए आज के ही दिन संस्था समाज के सामने आयी और विगत एक वर्ष से अनवरत मानवता की सेवा को ऊँचा आयाम दे रही है। एक सदस्य के तौर पर मुझे संस्था का हिस्सा होने पर गर्व है। संस्था के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को प्रथम स्थापना दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। हम सभी सेवा भावना से लबरेज होकर इसी तरह आगामी वर्षों में समाज हित में कदम बढ़ाते रहें। यही मंगलकामना।
नेहा सिंह, सदस्या, शिक्षा तरु।।